जबकि लघु सतही सिंचाई योजनाओं के अंतर्गत सतही प्रवाह योजनाएं और लिफ्ट सिंचाई योजनाएं आती हैं।
2.
सतही सिंचाई के जल का बड़ा हिस्सा वाष्पन, रिसाव और जमीन में ज्यादा गहराई तक जाता है।
3.
सतही सिंचाई में श्रम की ज्यादा जरूरत होती है जबकि ड्रिप सिंचाई में श्रम की बहुत कम आवश्यकता होती है।
4.
इस कारण भू-क्षरण नहीं होता जबकि सतही सिंचाई में जल की धारा ज्यादा होती है तथा भू-झरण की संभावना ज्यादा होती है।
5.
इसके अलावा सतही सिंचाई को बढ़ाकर लगभग 50 लाख हे. मी. अतिरिक्त पानी फिर दुबारा उपयोग के लिए प्राप्त किया जा सकेगा।
6.
सारा बरसाती पानी जो सतही सिंचाई योजनाओं के निर्माण में उपयोग में लाया जाता है, के स्थान पर उसके कुछ हिस्से को ग्राउंड वॉटर रिचार्ज योजनाओं के निर्माण हेतु आवंटित किया जाये।
7.
दूसरे शब्दों में कहें तो सतही सिंचाई प्रणाली में किए गए निवेश ने समृद्धि के चंद टापू तैयार किए लेकिन स्थानीय स्तर पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में बहुत कम योगदान किया।